अपने मन से लडाई करती है कि क्यो उसे इतने सपने दिखाए नीता पूरी टूट जाती है ! अपने मन से लडाई करती है कि क्यो उसे इतने सपने दिखाए नीता पूरी टूट जाती है !
जिसे वो कभी भी अपने शब्द न दे सका और यह काग़ज़ कोरा ही रह गया। जिसे वो कभी भी अपने शब्द न दे सका और यह काग़ज़ कोरा ही रह गया।
फिर उन्होंने सोच की क्यों न संत ज्ञानेश्वर को पत्र लिखा जाए। फिर उन्होंने सोच की क्यों न संत ज्ञानेश्वर को पत्र लिखा जाए।
मेरा प्रादुर्भाव ज्यादा पुराना नहीं, लेकिन कुछ ही दशकों में मैं, अनेक बुराई का साक्षी हुआ मेरा प्रादुर्भाव ज्यादा पुराना नहीं, लेकिन कुछ ही दशकों में मैं, अनेक बुराई का स...
कागज़ के पैमाने में उस परिवार से जीत गया था। लेकिन मेरी जीत की निशानी ये नोट मेरे मन और हाथ दोनों को ... कागज़ के पैमाने में उस परिवार से जीत गया था। लेकिन मेरी जीत की निशानी ये नोट मेरे...
वैसे तो शाम तक ऐसे कई रंग-बिरंगे कागज़ सड़कों पर फेंके मिल जाते हैं वैसे तो शाम तक ऐसे कई रंग-बिरंगे कागज़ सड़कों पर फेंके मिल जाते हैं